एक पादासन | Eka Padasana
एक पादासन" इसका अर्थ है यह एक पैर से किया जाने वाला योग आसन है । इसे अंग्रेजी में One Legged Posture या One Foot Posture, Balancing Stick pose (tuladandasana), Virabhadrasana 3 भी कहते है। यह आसन शरीर में संतुलन लाने के लिए बहुत फ़ायदेमंद माना जाता है।
योग के अंतर्गत ऐसे कई आसन है, जिनसे शरीर का संतुलन बेहतर होता है। लेकिन एक पादासन के अभ्यास से शरीर में संतुलन तो आता ही साथ ही पैरो और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव लाने में यह आसन बहुत फायदेंमंद साबित होता है। जिन लोगो की एकाग्र होने की शक्ति बहुत ज्यादा कमजोर होती है उन्हें इस आसन का अभ्यास ज़रूर करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास नियमित करने से आपकी एकाग्रशक्ति बढ़ा जाती है। यह आसन आपके शरीर में मौजूद मांसपेशियों को विकसित करता है। इस करने से आपके कंधे और कलाई भी मजबूत होते हैं।
एक पादासन करते समय शुरूआत में शरीर का संतुलन बनाने में थोड़ी कठिनाई आ सकती है परन्तु इसके नियमित अभ्यास से इसे आसानी से किया जा सकता है। इसलिए इस आसन को किसी कुशल प्रशिक्षक की देखरेख में ही शुरू करना चाहिए।
एक पादासन को करने की विधि | Method of performing Eka Padasana ↓
- सबसे पहले शांत एव शुद्ध वातावरण में समतल ज़मीन पर बिलकुल सीधे हो कर खड़े हो जाएं।
- सावधान मुद्रा होनी चाहिए।
- दोनों पांव के पंजों को पास पास रख कर अपनी बॉडी को शिथिलता प्रदान करने की कोशिश करें, ध्यान रहे की आपकी पीठ बिलकुल सीधी होनी चाहिए।
- अपने दोनों पैरों को पास में लाये।
- इस वक्त आपका शरीर ताड़ासन की मुद्रा में होना चाहिए ।
- फिर पांच फिट की दूरी पर किसी चीज पर ध्यान केंद्रित कर दें।
- अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर आसमान की तरफ उठाएं और अपनी हथेलियों को जमीन की तरफ रखते हुए अपनी सारी उंगलियों को फैला लें।
- अपने धड़, सिर तथा हाथों को एक सीध में रख कर अपने हिप्स से धीरे-धीरे सामने की ओर झुकें।
- आपको 90 डिग्री के कोण में झुकना है।
- जब आपकी बॉडी इस मुद्रा में संतुलित महसूस करने लगे और आपके कंट्रोल में आ जाये तब धीरे से अपने बायें पांव को स्ट्रेट रखते हुए पीछे की तरफ उठाएं और इस दौरान यह प्रयास करें कि आपका पांव धड़ की सीध में हो।
- आपके दोंनों हाथ, सिर, पीठ, कमर और पांव सारे अंग बिल्कुल एक सीधी रेखा में नजर आने चाहिए।
- आपका बॉडी इस समय दायें हिप्स के जोड़ पर सधा रहेगा।
- दायां पांव इस दौरान सीधा और बिलकुल लंबवत रहेगा।
- इस योग के अभ्यास के दौरान अब अपनी नजरों को अपने दोनों हाथों पर केंद्रित करें।
- इस योग के अभ्यास की आखिरी मुद्रा है।
- फिर धीरे-धीरे अभ्यास की शुरूआती मुद्रा में वापिस लौट जाएं।
- इसी तरह को अब अपने दायें पांव के साथ भी दोहराएं।
एक पादासन को करने से लाभ | Benefits of performing Eka Padasana ↓
- एक पादासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर के अंग दृढ़ होते हैं।
- यह शारीरिक स्वास्थ्य सुधारने के साथ साथ मानसिक संतुलन सुधारने में भी मददगार है।
- एक पादासन के नियमित अभ्यास से तंत्रिका तंत्र को मज़बूती मिलती है।
- और यह पैर की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
- इस के रोज अभ्यास करने से शरीर के निचले हिस्से में अच्छा खिचाव होता है।
- इस आसन को करने से शरीर के संतुलन में सुधार होता है।
- एक पादासन छाती और फेफड़ों को भी स्ट्रेच करता है। साथ ही इसके द्वारा शरीर में स्फूर्ति आती है।
- रोज करने से कमर और पिंडलियों का दर्द से निजात मिलती है।
- इसके अभ्यास को नियमित रूप से करने पर भुजाओं, कंधों, कलाइयों, और पैर की पेशियों को नहीं मज़बूती मिलती है।
- स्मृति और एकाग्रता में सुधार करने के लिए यह आसन बहुत ही लाभकारी होता है।
- यह अभ्यास हर आयुवर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद होता है। बड़ों के साथ साथ इसका अभ्यास स्कूल जाने वाले बच्चे भी कर सकते हैं।
एक पादासन में सावधानियां | Precautions in Eka Padasana ↓
- पीठ और कमर में गंभीर चोट या दर्द हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- जिन लोगो को उच्च रक्त चाप है उन्हें भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- सर्वाइकल की समस्या परेशान लोगों को भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- यदि किसी को दृष्टि दोष है तो भी वह इस आसन को ना करे।
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