Skip to main content

Names of different types of yoga postures lying on the back

पीठ पर लेटने वाले विभिन्न प्रकार के योग आसनों के नाम | India-sportmart

पीठ पर लेटने वाले विभिन्न प्रकार के योग आसनों के नाम...

    1. Shanti asan – Shavasan – Peace asan or Corpse asan (शवासन – शांति आसन)
    2. Supta Pavan muktasan (पवन मुक्तासन)
    3. Tanasan (तानासानी)
    4. Anantasan or Krishnasan (अनंतासन या कृष्णसन:)
    5. Balasan (बालासन)
    6. Uttan-padasan or Padottanasan (पदोत्तानासन)
    7. Pad-chalanasan (पद-चलनासन)
    8. Naukasan (नौकासन)
    9. Supta Matsyendrasan (सुप्त मत्स्येन्द्रसाण)
    10. Supta Merudandasan (Set of various asanas) (सुप्त मेरुदंडासन)
    11. Setubandhasan (सेतुबंधासन)
    12. Sarvangasan (सर्वांगासन)
    13. Padma-sarvangasan or Urdhva padmasan (पद्म सर्वांगासन या उर्ध्व पद्मासन)
    14. Halasan (हलासानी)
    15. Karna-peedasan (कर्ण-पीड़ासन:)
    16. Chakrasan (चक्रसान)
    17. Supta Chakki chalan Kriya (चक्की चालन क्रिया:)

व्यायाम करने का आपका विचार किस स्तर पर फिट बैठता है?

मध्यम, जोरदार या आरामदेह, योग में सभी के लिए, हर स्तर पर कुछ न कुछ है।
आप खड़े, बैठे या लेटकर योगासन का अभ्यास कर सकते हैं। कुछ एरोबिक गतिविधि की तरह महसूस करें? तेज गति वाले सूर्य नमस्कार का प्रयास करें। थोड़ा आलसी लग रहा है? आप बिस्तर से उठे बिना भी योग कर सकते हैं!
आइए एक नजर डालते हैं पीठ के बल लेटने वाले कुछ योग आसनों पर। ये उन मुद्राओं से लेकर हैं जो आराम करने वालों को मजबूत करती हैं।

1. Shanti asan – Shavasan – Peace asan or Corpse asan (शवासन – शांति आसन) :

इसके अभ्यास से शरीर और मन शांत होते हैं, इसलिए इसे शांति आसन (शांति आसन) कहा जाता है।
प्रक्रिया: हथेलियों को ऊपर की ओर करके पीठ के बल लेट जाएं, पैरों को थोड़ा अलग फैलाएं और शरीर के सभी हिस्सों को ढीला छोड़ दें। शरीर के किसी भी अंग में कहीं भी तनाव नहीं होना चाहिए।
पहला चरण: इस आसन में श्वसन सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है। श्वसन के दौरान पेट की गति शिशु की तरह होती है। सांस अंदर लेते समय पेट धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठता है और जब पूरी तरह से सांस छोड़ते हैं, तो पेट पूरी तरह से नीचे की ओर होता है। इस स्थिति में शरीर पूरी तरह से आराम की स्थिति में होता है।
दूसरा चरण: ऊपर की स्थिति में कुछ मिनट के लिए पूरी तरह से आराम करने के बाद, शरीर को धीरे-धीरे दाहिनी ओर घुमाया जाता है, सिर को मुड़े हुए दाहिने हाथ पर रखते हुए, बाएं हाथ को बाईं जांघ पर रखा जाता है। पूरा शरीर सीधा है। श्वास सामान्य है। इस पोजीशन में शरीर और दिमाग शांत रहता है। बायीं नासिका (चंद्र स्वर) से श्वास अधिक तेज हो जाती है।
तीसरा चरण: शरीर को धीरे-धीरे बायीं ओर घुमाया जाता है, बायें हाथ को मोड़कर सिर के नीचे तकिये की तरह रखा जाता है। पूरे शरीर को सीधा रखा जाता है। दाहिना हाथ दाहिनी जांघ पर रखा गया है। दाहिनी नासिका (सूर्य स्वर) के माध्यम से श्वास अधिक प्रमुख हो जाती है।
शांति आसन के उपरोक्त तीनों चरणों के दौरान पूरा शरीर शारीरिक रूप से ढीला और मानसिक रूप से खोखला होता है।
लाभ: शरीर के सभी अंग शांत हो जाते हैं। थकान और थकान (मानसिक थकान) से निजात मिलेगी। तनाव कम होता है। पूरा शरीर शिथिल और पुन: सक्रिय हो जाता है। योगाभ्यास के दौरान यह आसन समय-समय पर आवश्यक विश्राम देता है।
"पूर्ण विश्राम और शांति के लिए शांति आसन"

2. Supta Pavan muktasan (पवन मुक्तासन) :

पवन मुक्तासन जिसके द्वारा पेट में मौजूद अशुद्ध वायु से छुटकारा मिलता है। यह आसन बिस्तर पर ही करना होता है, जैसे ही हम सुबह उठते हैं। रात के भोजन के पाचन के दौरान जो गैस बनती है वह पेट में ही रह जाती है। इस आसन से वह गैस बाहर निकलती है। इस आसन का अभ्यास अन्य समय में भी किया जा सकता है।
प्रक्रिया: अपने पैरों को फैलाकर पीठ के बल लेट जाएं। बायां पैर सीधा रखें। दाहिने घुटने को मोड़कर दोनों हाथों से पकड़ लें। घुटने को पेट की तरफ दबाएं। सांस छोड़ते हुए सिर को ऊपर उठाएं और ठुड्डी से घुटने को छुएं। बाद में सांस लेते हुए पैर को सीधा फैलाएं।
दूसरे चरण में बाएं घुटने के साथ भी यही दोहराएं।
तीसरे चरण में दोनों घुटनों को उठाकर मोड़ें, दोनों हाथों से पकड़ें। सिर को ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए घुटनों को ठुड्डी से स्पर्श करें। इस पोजीशन में पूरे शरीर को 5 से 10 बार आगे और पीछे घुमाएं। फिर बाएं से दाएं और दाएं से बाएं 5 से 10 बार घुमाएं। तीन चरण एक दौर बनाते हैं। ऐसे तीन से चार चक्रों का अभ्यास करना होता है।
लाभ: पवन मुक्तासन अशुद्ध गैस को शरीर से बाहर भेजता है। यह कब्ज की समस्या को दूर करता है और पेट को साफ रखता है। शरीर में वसा की मात्रा कम हो जाती है और इसलिए मोटापा धीरे-धीरे कम हो जाता है। रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। फेफड़े ठीक से काम करते हैं। घुटनों का दर्द दूर होता है।
नोट: गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए। अन्य सभी इसका अभ्यास कर सकते हैं।

3. Tanasan (तानासानी) :

जैसे नींद के बाद उठकर, पालतू या कोई भी जानवर आलस्य से छुटकारा पाने के लिए अपने शरीर को फैलाते हैं और लंबा करते हैं। पुरुष भी थकान और आलस से छुटकारा पाने के लिए अपने शरीर को स्ट्रेच करते हैं। सुबह शरीर को स्ट्रेच करने से रात की थकान और आलस दूर होता है।
प्रक्रिया: सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं, हाथों और पैरों को अधिकतम तक फैलाएं। 10 से 20 सेकंड के लिए शरीर को खिंचाव की स्थिति में होना चाहिए। धीरे-धीरे आराम करो। इस क्रिया को 4 से 5 बार दोहराना चाहिए। इस अभ्यास के दौरान श्वास सामान्य है।
दूसरे चरण में दाहिने हाथ और दाहिने पैर को कुछ सेकंड के लिए ही फैलाएं। इसके बाद यही प्रक्रिया बाईं ओर ही दोहराएं। बारी-बारी से 3-4 बार दोहराएं।
लाभ: इस एक्सरसाइज में शरीर की सभी नसों में खिंचाव होता है। हर तंत्रिका सक्रिय और मजबूत होती है। शरीर आलस्य और थकान से मुक्त होता है।

4. Anantasan or Krishnasan (अनंतासन या कृष्णसन):

यह आसन भगवान श्री कृष्ण को प्रिय था।
प्रक्रिया: 1. शांति आसन की मुद्रा में लेट जाएं। दाएं मुड़ें, सिर उठाएं और हथेली पर रखें। बाएं पैर को उठाएं और टखने को बाएं हाथ से 90 डिग्री तक उठाएं। पैर को 8-10 बार ऊपर-नीचे करें।
2. उपरोक्त स्थिति में रहते हुए बाएं हाथ को बाएं घुटने के नीचे रखें और पैर को घुटने से ऊपर और नीचे 8-10 बार मोड़ें।
3. बाएं हाथ को छाती के पास फर्श पर रखें। बाएं पैर को पूरी तरह ऊपर उठाएं और 8-10 बार नीचे करें।
4. इसी तरह दोनों पैरों को आपस में मिलाकर 8-10 बार नीचे लाएं।
उपरोक्त को दूसरी तरफ दोहराएं। सांस सामान्य रखें।
जागरूकता: 1. बछड़ा पेशी, 2. घुटने, 3. जांघ, 4. कमर (उठाए हुए हिस्से की)
लाभ: बछड़ों, घुटनों, जांघों, पैरों और पैरों के जोड़ मजबूत होते हैं।

5. Balasan (बालासन):

शिशु (बाल) स्वाभाविक रूप से बालासन की मुद्रा हैं। कोई भी मशीन जो लंबे समय तक अप्रयुक्त रखी जाती है, उसमें जंग लग जाती है और वह ठीक से काम नहीं करती है। इसी तरह अगर हमारे शरीर के अंगों में उचित गति नहीं होती है, तो वे कमजोर और निष्क्रिय हो जाते हैं। बालासन जैसे आसन शरीर के विभिन्न अंगों को पर्याप्त गति प्रदान करते हैं।
प्रक्रिया: अपनी पीठ के बल लेटकर पैरों और हाथों को ऐसे हिलाएं जैसे कि एक साइकिल को पैडल मारता है, साथ ही साथ सिर को बाएँ और दाएँ घुमाएँ। एक मिनट तक ऐसा करने के बाद इसे उल्टा करें। श्वास सामान्य है।
लाभ: जैसे शिशु बिना किसी की मदद के खुद ही इस क्रिया का अभ्यास करता है और अपने रक्त परिसंचरण को नियंत्रित करता है। इसी प्रकार योग साधक इस व्यायाम को करने से अपने रक्त परिसंचरण को ठीक से नियंत्रित कर सकते हैं और अपने हाथ और पैर के जोड़ सुचारू रूप से कार्य कर सकते हैं।

6. Uttan-padasan or Padottanasan (पदोत्तानासन):

यह आसन पैर को ऊपर उठाकर किया जाता है इसलिए इसे उत्तान-पादासन कहा जाता है।
प्रक्रिया: सबसे पहले पीठ के बल लेटकर पैरों को सीधा फैलाएं। हथेलियों को फर्श से स्पर्श करते हुए हाथों को बगल में रखें। सिर और गर्दन भी फर्श पर टिकी हुई है।
अपने दाहिने पैर को फर्श से लगभग एक फुट ऊपर उठाते हुए गहरी सांस लें। सांस छोड़ते हुए इसे नीचे लाएं। घुटने नहीं झुकने चाहिए।
यही क्रिया बाएं पैर से भी दोहराएं।
फिर से सांस लेते हुए दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए नीचे लाएं। यह एक दौर है। ऐसे तीन से चार चक्रों का अभ्यास करना होता है। इस आसन के दौरान पैरों को धीरे-धीरे और धीरे-धीरे ऊपर और नीचे करना होता है।
लाभ: यह आसन गैस को कम करता है। हर्निया को नियंत्रित किया जाता है। पेट की चर्बी कम होती है और भूख बढ़ती है। पेट के कई रोग नियंत्रित होते हैं। कमर और कमर दर्द ठीक हो जाता है। इस व्यायाम में जैसे ही रक्त सीधे हृदय की ओर प्रवाहित होता है, हृदय की कार्यप्रणाली स्वाभाविक और कुशल हो जाती है। यह आसन नाभि को सही जगह पर रखने में भी मदद करता है।

7. Pad-chalanasan (पद-चलनासन) :

जैसे इस अभ्यास में पैर घुमाया जाता है, इसलिए इसे पदचानासन कहा जाता है।
प्रक्रिया: सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेटकर हथेलियां फर्श पर रखें। दाहिने पैर को पूरी तरह से ऊपर उठाएं (अर्थात जांघ, अग्र टांग और पैर) और धीरे-धीरे 5 से 6 बार दक्षिणावर्त गोलाकार रूप में घुमाएं। बाद में विपरीत दिशा में समान संख्या में घुमाएँ।
फिर बाएं पैर से भी यही दोहराएं। इसके बाद दोनों पैरों को एक साथ उठाएं और ऊपर की तरह घुमाएं। इस अभ्यास में श्वास सामान्य रखें। घुटने नहीं झुकने चाहिए।
लाभ: पदोत्तनसन के सभी लाभों के अलावा, जैसा कि नंबर 6 में है, जांघ के जोड़ सक्रिय होते हैं।

8. Naukasan (नौकासन) :

नौका का अर्थ है नाव। इस अभ्यास में शरीर को नाव की तरह खड़ा किया जाता है, इसलिए इसे नौकासन कहा जाता है।
प्रक्रिया: सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेटकर पैरों और हाथों को फैलाएं। दोनों हाथों को नमस्कार की स्थिति में मिला लें। सांस भरते हुए हाथों और पैरों को फर्श से एक फुट ऊपर उठाएं। सांस छोड़ते हुए हाथों और पैरों को अपनी सामान्य स्थिति में लाएं।
दूसरे चरण में, वही व्यायाम हथेलियों को जांघों पर टिकाकर दोहराया जाता है।
तीसरे चरण में दोनों हाथों और पैरों को अलग-अलग फैलाएं। सांस भरते हुए दोनों हाथ, पैर और सिर को एक फुट ऊपर उठाएं। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामन्य अवस्था में आएं।
प्रत्येक चरण को 2-4 बार दोहराएं।
लाभ: नौकासन नाभि को मजबूत करने में बहुत मदद करता है। मल आसानी से और जल्दी से निकल जाता है। पेट की गैस दूर होती है। कमर दर्द से बचाव होता है। हर्निया को नियंत्रित किया जाता है। पेट की समस्या दूर होती है।

9. Supta Matsyendrasan (सुप्त मत्स्येन्द्रसाण) :

इस आसन का नाम योगी मत्स्येन्द्रनाथ के नाम पर रखा गया है और यह इसी नाम से लोकप्रिय है। इस आसन का अभ्यास बैठने की स्थिति में भी किया जाता है। इस आसन को लेटने की स्थिति में करने की सरल विधि सुप्त मत्स्येन्द्रासन है।
प्रक्रिया: सबसे पहले पीठ के बल लेटकर पैरों को आपस में मिला लें। अब दाएं पैर को ऊपर उठाएं और बाएं घुटने के बगल में रखें। दाएं घुटने को बाएं हाथ से पकड़ें। अब बाएं घुटने को मोड़ें और बाएं पैर के अंगूठे को दाएं हाथ से पकड़ें। सांस छोड़ते हुए दाएं घुटने को बाईं ओर तब तक झुकाएं जब तक कि वह जमीन को न छू ले। सिर को दाहिनी ओर मोड़ें। कुछ सेकेंड के बाद सांस अंदर लेते हुए दाएं घुटने को ऊपर उठाएं। यह क्रिया 5 से 6 बार की जाती है।
इसी तरह पैरों और हाथों को बदलकर दूसरी तरफ भी यही क्रिया दोहराएं।
लाभ: यकृत, प्लीहा, गुर्दे, अग्न्याशय, शुक्रायस..शक्तिवान होते हैं। पेट और कूल्हों की चर्बी कम होती है। घुटनों और गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है। यह एक्सरसाइज शुगर की बीमारी यानी डायबिटीज को रोकने में काफी मदद करती है।

10. Supta Merudandasan (Set of various asanas) (सुप्त मेरुदंडासन):

यह आसन रीढ़ की हड्डी से संबंधित है, इसलिए इसका नाम मेरुदंडासन पड़ा। आसन के इस सेट को पीठ की हड्डी पर लेटकर किया जा सकता है। यदि कोई ऐसा नहीं कर सकता है, तो वह इसे प्रतिदिन बैठने की स्थिति में भी कर सकता है। इन आसनों को वैकल्पिक रूप से एक दिन लेटने की स्थिति में और दूसरे दिन बैठने की स्थिति में किया जा सकता है।
इस आसन के प्रत्येक अभ्यास को क्षमता और धैर्य के आधार पर 5 से 10 बार दोहराया जा सकता है।
प्रत्येक व्यायाम में जब भी शरीर को बगल की ओर घुमाया जाता है, तो श्वास को छोड़ना चाहिए और जब भी शरीर सामान्य केंद्रीय स्थिति में आता है तो श्वास को अंदर लेना चाहिए।
निम्नलिखित ये अभ्यास एक के बाद एक क्रम में किए जाते हैं।
प्रक्रिया: 1. पीठ के बल टांगों को मिलाकर सीधे लेट जाएं, दोनों हाथों को बगल की तरफ फैलाएं। दाहिने हाथ को उठाकर बायीं हथेली पर रखें और दोनों हथेलियों को नमस्कार की मुद्रा में मिला लें। बाद में दाहिने हाथ को वापस दाहिनी ओर ले आएं। इसी तरह बाएं हाथ को दाहिनी हथेली पर रखें। रीढ़ की हड्डी को बारी-बारी से बाईं और दाईं ओर घुमाया जाता है।
2. दोनों हाथों को साइड में स्ट्रेच करें। दोनों एड़ियों को मिलाएं। कमर, बाएँ कूल्हे और शरीर के मध्य भाग को दायीं ओर और सिर को बायीं ओर बिना हाथ या कंधों को उठाये मोड़ें। बाद में वापस केंद्रीय स्थिति में आ जाएं। इसी तरह दूसरी तरफ भी दोहराएं।
3A. दोनों हाथों को बगल में फैलाएं, धीरे-धीरे दाहिने पैर को बाएं पैर पर दोनों पैरों के छोटे पंजों को मिलाते हुए रखें। उपरोक्त अभ्यास संख्या 2 को दोहराया गया है।
3B. बाएं पैर को दोनों छोटे पंजों से जोड़ते हुए दाहिने पैर पर रखें और व्यायाम को 3 ए के नीचे दोहराएं।
4A. दोनों हाथों को साइड में स्ट्रेच करें। दाहिनी एड़ी को बाएं पैर के पंजों पर रखें। 3ए के रूप में अभ्यास करें।
4B. बायीं एड़ी को दाहिने पैर के पंजों पर रखें और व्यायाम को 4 ए के नीचे दोहराएं।
5A. दोनों हाथों को साइड में स्ट्रेच करें। दाहिने तलवे को बाएं घुटने पर रखें। धीरे-धीरे दाएं घुटने को बाईं ओर मोड़ें और फर्श को स्पर्श करें। सिर को दाहिनी ओर मोड़ें और दाहिने हाथ की उँगलियों को देखें। घुटने को ऊपर लाते हुए बाएं हाथ को देखते हुए धीरे-धीरे दाएं घुटने को फर्श से छूते हुए दाएं घुटने को मोड़ें।
5B. 5A में पैरों को बदलते हुए दोहराएं।
6A. दोनों हाथों को साइड में स्ट्रेच करें। घुटनों को मोड़ें और दोनों एड़ियों को हिप्स के पास आने दें, जिससे हिप्स एड़ियों से टच हो जाएं। दोनों घुटनों और एड़ियों को आपस में मिला लें। दोनों घुटनों को दायीं ओर मोड़ें और घुटनों से फर्श को छुएं। बायें हाथ की उँगलियों की ओर देखते हुए सिर को बायीं ओर मोड़ें। बाद में सामान्य केंद्रीय स्थिति में आकर, दूसरी तरफ भी घुटनों को बाईं ओर झुकाकर और दाहिने हाथ की उंगलियों को देखकर व्यायाम दोहराएं।
6B. 6A की स्थिति में रखते हुए, अब दोनों घुटनों को पेट की ओर मोड़ें। 6A के रूप में दोहराएं। बगल की तरफ झुकते हुए घुटने को कोहनी को छूने दें।
6C. 6A की स्थिति से अब दोनों घुटनों को दोनों तरफ झुकाएं और घुटनों को ऊपर और नीचे ले जाएं।
7. दोनों हाथों को साइड में फैलाएं। दोनों घुटनों को मोड़ें और एड़ियों को एड़ियों के बीच एक फुट की दूरी रखते हुए कूल्हों के पास रखें। अब दोनों घुटनों को दायीं ओर मोड़ें और बायीं ओर देखते हुए दोनों घुटनों से फर्श को स्पर्श करें। दूसरी तरफ भी यही दोहराएं।
8. दोनों हाथों को बाजू और पैरों को सीधा फैलाएं। दाहिने पैर को ऊपर उठाएं और बाएं हाथ को छूते हुए फर्श पर टिकाकर बाईं ओर नीचे करें। सिर को दाहिनी ओर मोड़ें। बाद में केंद्रीय स्थिति में आकर बाएं पैर से भी इसे दोहराएं।
9. दोनों हाथों को साइड में फैलाएं। पैरों को जोड़ कर एक साथ ऊपर उठाएं। धीरे-धीरे पैरों को दाहिनी ओर मोड़ें और फैले हुए दाहिने हाथ के पास जमीन पर टिकाएं। सिर को बाईं ओर मोड़ें। सामान्य केंद्रीय स्थिति में आते हुए, दूसरी तरफ भी दोहराएं।
लाभ: पीठ की हड्डी मजबूत होती है। रीढ़ की हड्डी की सभी समस्याएं दूर होती हैं। यह कुंडलिनी की शक्ति को सशक्त और उत्तेजित करने में मदद करता है। मेरुदंडासन कमर दर्द, गर्दन के दर्द और स्पॉन्डिलाइटिस से राहत दिलाने में बहुत उपयोगी साबित होता है। ये आसन पेट के सभी अंदरूनी हिस्सों को ठीक से और नियमित रूप से काम करने में भी मदद करते हैं। वे विशेष रूप से बिस्तर गीला करने सहित मूत्र संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह कई अद्भुत आसनों का संश्लेषण है।

11. Setubandhasan (सेतुबंधासन) :

इस आसन में शरीर को पुल (सेतु) की तरह घुमाया जाता है। इसलिए इसे सेतुबंधासन कहते हैं।
प्रक्रिया: रीढ़ की हड्डी के बल लेटकर दोनों पैरों को सीधा फैलाएं। अब घुटनों को मोड़कर एड़ियों को शरीर के पास लाएं। एड़ियों को हाथों से पकड़ें। फर्श को 1. फीट, 2. कंधों और 3. सिर से जबरदस्ती दबाया जाता है। धीरे-धीरे सांस लेते हुए, ऊपर उठाएं। जांघ, बी. कमर, सी. पेट और डी. छाती। इस ब्रिज पोजीशन में शरीर को कुछ देर तक रखने के बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को फर्श पर नीचे लाएं, बहुत धीरे-धीरे।
इस एक्सरसाइज को दो से तीन बार करने के बाद धीरे-धीरे उठे हुए शरीर को 5 से 6 बार बाएं से दाएं और दाएं से बाएं घुमाएं।
लाभ: पीठ की हड्डी, कमर, जांघों और पिंडलियों को मजबूत और सक्रिय किया जाता है।

12. Sarvangasan (सर्वांगासन) :

यह शरीर के सभी अंगों के लिए उपयोगी है, इसलिए इसे सर्वांगासन कहा जाता है।
प्रक्रिया: इस आसन का अभ्यास 5 चरणों के क्रम में किया जाता है। पीठ की हड्डी के बल लेटकर पैरों को सीधा फैलाएं।
1. घुटनों को मोड़ें ताकि एड़ियां कूल्हों को छुएं।
2. दोनों घुटनों को उठाकर पेट की तरफ मोड़ें।
3. हल्का सा झटका देते हुए दोनों हाथों से कमर को पकड़कर कूल्हों को ऊपर उठाएं। कंधे और सिर फर्श पर टिका हुआ है।
4. अब दोनों पैरों को ऊपर की ओर सीधा कर लें। सर्वांगासन में यह महत्वपूर्ण और अंतिम स्थिति है।
5. A. अंतिम ऊपरी स्थिति में रहते हुए, संतुलन बनाए रखते हुए, दोनों पैरों को एक-दूसरे से अलग-अलग ले जाएं और फिर से एक साथ लाएं।
B. एक ही अंतिम स्थिति में होने के कारण, एक पैर ऊपर उठाएं और दूसरा नीचे नीचे वैकल्पिक रूप से।
C. उसी अंतिम स्थिति में होने के कारण, पैरों को ऐसे हिलाएं जैसे वे साइकिल चला रहे हों।
5 A, B और C की उपरोक्त क्रियाओं को प्रत्येक 5 से 10 बार दोहराया जाता है। सामान्य रूप से सांस लेते हुए आंखें बंद रखें। दो मिनट के बाद लेटने की स्थिति में 4, 3, 2 और 1 उल्टे क्रम में वापस आ जाएं। पर्याप्त आराम करें। पूरे शरीर और मन का संतुलन बनाए रखें।
लाभ: इस आसन को पुरुष, महिला, बच्चे, वृद्ध सभी कर सकते हैं। मस्तिष्क, फेफड़े और हृदय को बल मिलता है, रक्त शुद्ध होता है। आंख, कान और मुंह की समस्या दूर होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। अवांछित वसा नष्ट हो जाती है। मस्तिष्क और गर्दन की नसें सक्रिय होती हैं। मन की दुर्बलता दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है। विद्यार्थियों के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी है।
आसन का महत्व: आमतौर पर सिर ऊपर और पैर नीचे होते हैं। लेकिन इस आसन में सिर नीचे की तरफ होता है और पैरों को ऊपर की तरफ सीधा फैलाया जाता है। एकदम उल्टा। अतः शुद्ध रक्त प्राकृतिक शक्ति से सिर की ओर प्रवाहित होता है। (सामान्य तौर पर रक्त को सिर तक पंप किया जाता है।)
नोट: इस आसन के बाद अनिवार्य रूप से आराम करना चाहिए और फिर मत्स्यासन और/या भुजंगासन करना चाहिए।
निषेध: उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोग, गर्भवती महिलाएं, हृदय रोगी, जिनके कान लगातार गंदगी से रिसते हैं, गंभीर सर्दी-गर्दन के दर्द-स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित हैं, उन्हें इस आसन का प्रयास नहीं करना चाहिए। उपरोक्त समस्याओं से छुटकारा पाने के बाद इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है।

13. Padma-sarvangasan or Urdhva padmasan (पद्म सर्वांगासन या उर्ध्व पद्मासन) :

सर्वांगासन और पद्मासन की संयुक्त मुद्रा है, इसलिए इसे पद्म-सर्वांगासन कहा जाता है।
प्रक्रिया: सर्वांगासन में होने के कारण पैरों को घुटनों से मोड़कर पद्मासन की मुद्रा बनाएं। सर्वांगासन का अभ्यास करते समय यह परिवर्तन अभ्यास के बीच में लाया जाता है। बाद में पद्मासन और शरीर को सर्वांगासन में फैलाएं, उसके बाद शांति आसन में विश्राम करें। संतुलन बनाए रखें ताकि आप नीचे न गिरें।
लाभ: इस आसन में सर्वांगासन और पद्मासन (जो बैठने की स्थिति में किया जाता है) के सभी फायदे हैं। तन और मन की चंचलता दूर होती है। शांति और शांति बहाल होती है।
निषेध: उच्च रक्तचाप, हृदय की समस्याओं, गर्दन के दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस, मोटापे और गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे इस आसन को तब तक न करें जब तक कि उनकी समस्याओं से राहत न मिल जाए।

14. Halasan (हलासानी) :

इस आसन में शरीर को हल की तरह घुमाया जाता है, इसलिए इसे हलासन कहा जाता है। सर्वांगासन के बाद इसका अभ्यास किया जाता है। कठिन आसन होने के कारण इसका अभ्यास बहुत सावधानी से करना चाहिए।
प्रक्रिया: सर्वांगासन (नंबर 12) से शरीर को कमर पर मोड़ें और सिर को पार करते हुए पैर की उंगलियों को फर्श से स्पर्श करें। हाथ सीधे फर्श पर फैले हुए हैं। प्राकृतिक अवस्था में श्वास सामान्य है। शरीर को दो मिनट के लिए हलासन में रखते हुए, बाद में सर्वांगासन में वापस आ जाएं और फिर कुछ समय के लिए आराम करने के लिए शांति आसन की सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं, इसके बाद मत्स्यासन या चक्रासन या भुजंगासन करें।
लाभ: थायराइड दोष, मधुमेह और हर्निया से पीड़ित लोगों के लिए यह आसन बहुत उपयोगी साबित हुआ है। यह उन महिलाओं के लिए भी उपयोगी है, जो गर्भवती नहीं हुई हैं। यह गर्भाशय को सक्रिय करता है। यह पेट की समस्याओं को दूर करता है। यह रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और कमर को मजबूत करता है। शरीर की सभी ग्रंथियां प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए सक्रिय होती हैं।
निषेध: उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कानों से मवाद निकलना, तेज सर्दी-खांसी, गर्दन में दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों को इस आसन को न करने की चेतावनी दी जाती है।

15. Karna-peedasan (कर्ण-पीड़ासन):

इस आसन में कानों को दबाया जाता है, इसलिए इसे कर्ण पीठासन कहते हैं।
प्रक्रिया: हलासन में होने के कारण (नंबर 14 में) दोनों घुटनों को मोड़कर फर्श पर रखें। दोनों कानों को दोनों घुटनों से दबाया जाता है। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद धीरे-धीरे हलासन और सर्वांगासन में आ जाएं और विश्राम के लिए वापस शांति आसन पर आ जाएं।
लाभ: सर्वांगासन और हलासन के सभी फायदों के अलावा कान की सभी समस्याएं नियंत्रित होती हैं। बहरापन भी दूर होता है।
निषेध: इस आसन में भी हलासन के सभी निषेध लागू होते हैं।

16. Chakrasan (चक्रसान) :

इस आसन में शरीर एक चक्र की तरह गोल होता है, इसलिए इसे चक्रासन कहा जाता है।
प्रक्रिया: रीढ़ की हड्डी के बल सीधे लेटकर दोनों घुटनों को मोड़ें और एड़ियों को नितंबों के पास ले आएं। दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए दोनों हथेलियों को कानों के पास रखें, अंगुलियां कंधों को छूती हुई। पैरों और हथेलियों से फर्श को मजबूती से दबाते हुए सांस भरते हुए पूरे शरीर को ऊपर की ओर उठाएं। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए नीचे आएं। 3 से 4 बार दोहराएं।
लाभ: यह रीढ़ और पेट को प्रभावित करता है। आमतौर पर शरीर आगे की ओर झुकता है लेकिन इस चक्रासन में शरीर पीछे की ओर मुड़ा होता है, इसलिए यह रीढ़ की हड्डी, पेट, फेफड़े, पैरों और हाथों को सक्रिय करता है। महिलाओं में गर्भाशय की समस्या दूर होती है। मस्तिष्क में रक्त संचार पूरी तरह से नियंत्रित रहता है। सिरदर्द दूर हो जाता है। पैरों और हाथों में कांपना भी ठीक हो जाता है। यह आसन युवक-युवतियों में 'युवा' को मजबूत करने में बहुत मदद करता है।
निषेध: हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, हाथों में कमजोरी से पीड़ित लोगों को इस आसन को न करने की चेतावनी दी जाती है। अधिक वजन वाले व्यक्तियों को सावधानी से इसका प्रयास करना चाहिए।

17. Supta Chakki chalan Kriya (चक्की चालन क्रिया:)

इस आसन में एक सामान्य चक्की (भारतीय चक्की) पर गेहूं या जवार को गूंथते समय हाथ हिलते-डुलते हैं, इसलिए यह इसी नाम से लोकप्रिय है।
प्रक्रिया: सबसे पहले पीठ के बल लेटकर हाथों और पैरों को सीधा फैलाएं। उंगलियों को इंटरलॉक करें। अब कमर से उठकर अपने हाथों को गोलाकार घुमाना शुरू करें, जिससे हर गोल में उंगलियां सांस छोड़ते हुए पंजों को स्पर्श करें। 4 से 6 चक्कर लगाने के बाद उल्टी दिशा में घुमाएं। न तो कोहनी और न ही घुटने मुड़े होने चाहिए।
यदि कोई कमजोरी के कारण अपने पैरों को फैलाकर शरीर को नहीं हिला सकता है, तो वह इस आसन को बैठने की स्थिति में कर सकता है।
लाभ: गर्दन और कमर मजबूत होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। कब्ज दूर होता है। पैरों की नसें सक्रिय होती हैं।

इन योगआसन का अभ्यास पीठ के बल लेटकर किया जा सकता है, लेटने की स्थिति में आसन करने से आराम मिल सकता है। जिसे साधकों को अपनी शक्ति और क्षमता के अनुसार इनका अभ्यास करने से लाभ मिल सकता है. अगर आप थका हुआ महसूस कर रहे हों तो आप उनका उपयोग आराम करने के लिए कर सकते हैं। या किसी बीमारी से अपने आप को वापस स्वास्थ्य के लिए मनाना। अगर आप इन आसनों को नियमित रूप से करेंगे तो आपको फर्क नजर आने लगेगा।
योग शरीर और दिमाग को विकसित करने में मदद करता है, जिससे बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एक प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में योग मुद्राओं को सीखना और उनका अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। किसी भी बीमारी के मामले में, डॉक्टर और योग शिक्षक से परामर्श के बाद योग मुद्राओं का अभ्यास करें।

Most effective yoga video:-

Related Pages:
  1. What are the benefits of outdoor training compared to gym workout?
  2. Walking is a good exercise for health
  3. 5 yogasan name with information
  4. Benefit of Ugra-asana - The Noble Pose
  5. To protect against Omicron, it is necessary to boost immunity
  6. 3 Simple Yogasanas to Increase Height
  7. How to increase height after 18 years age by yoga naturally?
  8. Benefits of Yoga in Modern Life
  9. To improve your fitness, try a competitive sport instead of a gym
  10. Names of different types of yoga postures lying on the back

Sport| Football |Tennis | Cricket | Yoga | GYM | G K


Comments

Read other -

ODI Cricket/Most ODI Hat tricks/Cricket/Records

Hat Tricks in ODI History (max-width- 640px)"> Hat Tricks in ODI... Jalal-ud-Din took the first hat-trick in ODIs against Australia, becoming the first bowler to achieve this feat in the tournament. Sri Lanka's Lasith Malinga is the only bowler to have taken three hat-tricks in ODIs. Wasim Akram and Saqlain Mushtaq (Pakistan), Chaminda Vaas (Sri Lanka), Trent Boult (New Zealand), and Kuldeep Yadav (India) have taken two hat-tricks in ODIs. Here is the list of all Hat Tricks in ODI history. Check out the list of Hat Tricks in ODI History here. Hat Tricks in ODI History: Pos Player Team Batsmen Dismissed Opposition 1 Jalal-ud-Din Pakistan RW Marsh, B Yardley, GF Lawson Australia 2 Bruce Reid Australia BR Blair, EB McSweeney, SR Gillespie New Zealand 3 Chetan Sharma India KR Rutherford, IDS Smith, EJ C...

ICC Women’s T20 WCW List - ICC Women's T20 World Cup

ICC Women’s T20 WCW List ICC Women's T20 World Cup Winners... T20 cricket has gained a lot of popularity. The 2007 T20 World Cup played a major role in pushing the development of the shortest format. In women's cricket too, the ICC introduced the T20 World Cup in 2009. The T20 World Cup is held roughly every two years, although the next one will be held in 2025. Eight tournaments have been played since 2009. Current title holders New Zealand and Australia have performed extremely well in this tournament, winning the title a total of six times. Check the list of ICC Women's T20 World Cup winners here below. Women’s T20 World Cup Winners List Year Host Winner Result Runner-up 2024 United Arab Emirates New Zealand Won by 32 runs South Africa 2023 South Africa Australia Won by 19 runs South Africa 2020 Australia Australia Won by 85 runs India 2018 West Indies Australia Won by 8 wickets England 201...

WBBL/Women's Big Bash League Winners List All Seasons

Women's Big Bash League (WBBL) Winners List & Runner-Up List | India-sportmart WBBL Winner & Runner-up List... Women's Big Bash League (WBBL) is currently one of the highest rated T20 leagues. Before the start of this league, there was the Australian Women's Twenty20 Cup. It was replaced by tournament. The names of the teams are similar to the names of the men's Big Bash League tournament. They are – Adelaide Strikers, Brisbane Heat, Hobart Hurricanes, Melbourne Renegades, Melbourne Stars, Perth Scorchers, Sydney Sixers and Sydney Thunder. Eight teams have participated in the competition since the inaugural edition held in 2015. Let's take a look at the winners of all the seasons of the Women's Big Bash League. WBBL Winner & Runner-up Season Winner Won By Runners-Up Host 2024–25 Melbourne Renegades 7 runs Brisbane Heat Melbourne 2023–24 Adelaide Strikers 3 runs Brisbane Heat Adelaide ...

In Cricket, Common methods of dismissal

In cricket, common methods of dismissal are: In cricket, common methods of dismissal are... In cricket, a dismissal occurs when a batsman's innings is terminated by the opposing team. Cricket players bat in pairs. If 10 out of 11 members of a team are dismissed in a cricket match, the team's innings ends. A player is out when a batsman's batting period is terminated by the opposing team, which means the batting side loses a wicket and the fielding side gains a wicket. If 10 players of a team get out before the stipulated overs then it is considered all out. Then the batting team has to go for bowling or fielding. For what reasons is a batsman considered out in cricket? A batsman can be given out in cricket for the following reasons: 1. Bowled — The ball, delivered by the bowler, hits the stumps and dislodges the bails. 2. Caught —The batsman hits the ball with the bat (or glove) and a fielder, wicketkeeper, or bowler catches it before ...

IPL Records/bowling-list-five-Wkts-in-Indian Premier League

List of five-wickets-in-an-innings For IPL history (max-width- 640px)"> List of five-wickets-in-an-innings For IPL... IPL is famous for explosive batting, aggressive bowling and high run scores. Sohail Tanvir was the first bowler to take five wickets for Rajasthan Royals against Chennai Super Kings on 4 May 2008. James Faulkner, Jaydev Unadkat, Bhuvneshwar Kumar, and Jasprit Bumrah are the only bowlers to take multiple five-wicket hauls in the IPL history. Check out the list of bowlers with most five-wicket hauls in Indian Premier League history here. List of five-wickets-in-an-innings For IPL history: Player Overs Mdns Runs Conceded Wkts Taken Econ Team Opposition Ground Match Date Sohail Tanvir 4.0 - 14 6 3.50 RR v CSK Jaipur 04 May 2008 L Balaji 4.0 - 24 5 6.00 CSK v Kings XI Chennai 10 May 2008 A Mishra 4.0 - 17 5 4.25 Dare...

Who are the manufacturers of cricket bats in Jalandhar?

10 Cricket Bat manufacturing factories in jalandhar (max-width- 640px)"> 10 Cricket Bat manufacturing factories in jalandhar... Cricket is the most watched and played sport in the world. The number of viewers is increasing day by day and right now the IPL season is also going on. In the game of cricket it is customary to make a batsman conform to a cricket bat which includes size, thickness, weight, handle and grip. Cricket bat has got the cricketers contracted with the manufacturers. Cricket has been made a game dominated by batsmen. With the increasing demand for cricket bats, only two cities in India have emerged as a large number of cricket bat manufacturers on the global stage. Meerut is on the first place and Jalandhar is on the second. Jalandhar is one of the sports goods manufacturing hub of India. It is famous for exporting sporting goods within and outside India. I will know about some of those companies which make bats not only for Indi...

Cricket/Record/List of Cricket Records

List of Cricket Records | India-sportmart Cricket Records List... Records have always attracted people. Setting a record in any field, especially in cricket or other sports, requires time, patience and good performance. Here is the list of all the records achieved by cricket players from golden ducks to most centuries. List of Cricket Records: ◾ Highest Strike Rate In ODI ◾ Most Runs as Captain In ODI ◾ Highest Batting Average In ODI ◾ Consecutive Centuries In ODI ◾ Fastest century in ODI ◾ Most Fifties In ODI ◾ Most Sixes In ODI ◾ Most Fours in ODI ◾ Lowest Score In ODI ◾ Fastest 1000 Runs In ODI ◾ Fastest 2000 Runs In ODI ◾ Fastest 3000 Runs In ODI ◾ Fastest 4000 Runs In ODI ◾ Fastest 5000 Runs In ODI ◾ Fastest 6000 Runs In ODI ◾ Fastest 7000 runs In ODI ◾ Fastest 8000 Runs In...

Five Wkts Haul's/ODI/Most five-wicket hauls in ODI cricket

List of top 20 bowlers with most five wickets in ODI cricket | India-sportmart List of top 20 bowlers with most five wickets in ODI cricket... Former Pakistan fast bowler Waqar Younis leads the list of players with most 5 wickets in ODIs. Since making his ODI debut against the West Indies in 1989, Waqar Younis has taken five wickets on 13 occasions. He is followed by Sri Lanka's Muttiah Muralitharan and Australia's Brett Lee. Most five-wicket hauls in ODI cricket: Pakistan bowler Waqar Younis holds the record for taking most five wickets in ODI cricket. He ended his illustrious career with 416 ODI wickets in 262 matches at an average of 23.84 and an economy of 4.68. The second cricketer is Sri Lanka's legendary bowler Muttiah Muralitharan, who is second in the list of most five-wicket hauls in ODI cricket. He took 10 five-wicket hauls in his impressive ODI career. Between 1993 and 2011, Muralitharan took 534 ODI wickets in 350 matches at a...

ODI Cricket/Fastest 4000 Runs in ODI/Cricket/Records

Fastest 4000 Runs in ODI Cricket | India-sportmart Fastest 4000 Runs in ODI Cricket... Former South African captain "Hashim Amla" is the fastest player to score 4,000 ODI runs. Hashim played his first ODI in March 2008 against Bangladesh. He took 84 matches, 81 innings to score the fastest 4000 ODI runs. Hashim Amla played 181 matches and scored 8113 runs at an average of 49.46. Hashim also scored 27 centuries and 39 half-centuries. Indian cricketer Virat Kohli is at the fourth place after Joe Root. Another South African Quinton de Kock is also included in this list. Check out the list of the fastest players to score 3000 runs in ODI's cricket . Some of the batting records that we will analyze are quite unbelievable, so let's list the fastest batsmen to score 4000 runs in ODI. List of fastest 4000 ODI runs scorer. So let's look at the list of batsmen who scored the fastest 4000 runs in ODIs Fastest 4000 Runs in ODI ...