भुजंगासन करने का तरीका और फायदे...
भुजंगासन | कोबरा पोज़ | Bhujangasanaभुजंगासन की परिभाषा:
"भुजंग" शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। भुजंग शब्द का अर्थ सांप अथवा नाग है। इस आसन में शरीर की आकृति सांप के फन की तरह ऊपर उठती है जिसके कारण इस आसन को भुजंगासन कहते है। भुजंगासन को अंग्रेजी में (Cobra Pose) कहा जाता है। भुजंग आसन एक प्रसिद्ध आसन है। पीठ के दर्द के रोगीयों के लिए यह आसान अत्यंत गुणकारी होता है। सम्पूर्ण व्यायाम कहे जाने वाले सूर्यनमस्कार (Suryanamaskar) में भुजंगासन सातवे क्रम पर आता है। यह आसन प्रति दिन करने से करने से कंधे, हाथ, कुहनियाँ, पीठ, किडनी, और लीवर को मज़बूती और अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।
भुजंगासन करनें की विधि:
पैरों को उतना ही तानकर (दृढ) रखें कि कटि क्षेत्र के मेरुदण्ड में कोई भार या तनाव न हो।
भुजंगासन समय सीमा:
भुजंगासन मुद्रा में अधिकतम 15 से 30 सेकेंड तक रुकना चाहिए, उसके बाद फिर से ज़मीन की और प्रस्थान करना चाहिए, इस समय सीमा को अभ्यास के साथ बढ़ाया जा सकता है, अगर शरीर को अधिक कष्ट पड़ें उतनी देर भुजंग आसन में रुकना हानिकारक हो सकता है।
भुजंगासन मे सावधानियां:
भुजंग आसन से लाभ:
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