विपरीतकरणी मुद्रासन - विलोमासन योग विधि, लाभ और सावधानी...
विपरीतकरणी मुद्रासन क्या है?
यह आसन ठीक सर्वांगासन की तरह ही है। बस अंतर यह है कि इसमें छाती और ठुड्डी को आपस में नहीं मिलाया जाता। दोनों के बीच काफी अंतर रहता है। विपरीतकरणी एक संस्कृत शब्द है जिसमें विपरीत का अर्थ होता है उलटा। इस आसन में पैर ऊपर होता है और बहुत तक सिर नीचे। यह ऐसा योगाभ्यास है जो शरीर के सातों चक्र को सक्रिय करने में अत्यंत मददगार है और कुण्डलिनी जागरण में सहायक है। इस योगाभ्यास में शरीर अर्ध कंधे पर खड़ा जैसा लगता है। जिसे अंग्रेजी में Upside-down yoga भी कहते हैं।
विपरीतकरणी -मुद्रासन/ विलोमासन विधि:-
ध्यान दे !
विपरीतकरणी -मुद्रासन/ विलोमासन में सावधानियां:-
विपरीतकरणी -मुद्रासन/ विलोमासन इसे लाभ:-
योग के नियमित अभ्यास से शरीर को अनगिनत लाभ होते हैं। यह आसन आपके शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। यह आपकी गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करता है और सिर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, जिसके परिणामस्वरूप कई अन्य लाभ मिलते हैं।
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