जानिए बॉक्सिंग खेल का इतिहास...
मुक्केबाजी (बॉक्सिंग) प्रतिद्वंद्विता की प्राचीन परम्पराओं में से एक है। मुक्केबाजी एक पुराना खेल है। कई सौ साल पहले भी इस खेल के शौकीन बहुत मजे से इसे खेलते थे।आदिकाल में जब मनुष्य के पास संघर्ष के अन्य साधन (हथियार) नहीं थे तो जबरदस्त घूसों द्वारा एक दूसरे को पराजित करने की शैली का प्रादुर्भाव हुआ। ईसा से 400 वर्ष पूर्व के चित्रों से पता चलता है की मिस्र के सैनिक मुक्केबाजी में निपूर्ण होते थे। मिस्र से मुक्केबाजी की कला यूनानियों ने सीखी। प्राचीन ओलम्पिकों में भी मुक्केबाजी की प्रतियोगिताएँ होती थी। इन प्रतियोगिताओं में लड़ते वक्त मुक्केबाजों की मृत्यु तक हो जाती थी। प्रतिद्वंद्विता की यह शैली (मुक्केबाजी) खेल के रूप में 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में प्रचलित हुई। रोमन सम्राज्य में इसे मनोरंजन का साधन माना जाता था।
18वीं शताब्दी में इंगलैण्ड में भी मुक्केबाजी का प्रचलन हुआ और यहाँ विजेता को भारी धनराशि पुरस्कार में मिलती थी। इंगलैण्ड के जेम्सकिंग मुक्केबाजी के सर्वप्रथम सर्वविजेता (चैम्पियन) माने जाते है। सन 1868 में क़्वींसबरी के डगलस (अष्टम) ने मुक्केबाजी के नियम तैयार किये जिन्हें 1889 में पुरे इंगलैण्ड में मान्यता प्राप्त हुई। ये नियम ही वर्तमान मुक्केबाजी के आधार है। बाद में समय परिवर्तन के साथ-साथ नियमों को संशोधित किया गया। 'क़्वींसबरी' नियमों ने ही मुक्केबाजी के घातक स्वरूप को समाप्त किया। हाथ में दस्ताना पहनकर और तीन-तीन मिनट के चक्र (राउंड) में लड़ने की प्रणाली विकसित हुई।
वर्तमान में यह खेल दो रूपों में प्रचलित है:
- पेशेवर मुक्केबाजी
- शौकिया मुक्केबाजी (एमेच्योर मुक्केबाजी)
कुछ खिलाड़ी अपने व्यक्तिगत धन लोभ और ख्याति के कारण पेशेवर, घूंसेबाजी को अपनाते है और कुछ इस खेल को शौकिया (एमेच्योर) मुक्केबाजी के रूप में अपनाते है।
वर्ष 1896 में एथेंस ओलिम्पिक को पुन शुरू किया जा रहा था, तब कहा गया था कि यह खतरनाक खेल है और इसे ओलिम्पिक में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
विश्व ओलम्पिक में मुक्केबाजी को पहली बार 1904 ई. (सेंट लुईस, अमरीका) में शामिल किया गया। बाद में किसी तरह 1904 में इसे ओलिम्पिक में शामिल किया गया। 1912 में इसे फिर से बाहर कर दिया गया, लेकिन 1912 में यह ओलिम्पिक का हिस्सा बन गया।
नियम: मुक्केबाजी अलग-अलग वजन वर्गों में होती है। इस खेल में हर प्रतियोगी को प्रतियोगिता के लिए अपना वजन करवाना होता है। पुरुषों के लिए यह 10 अलग वजन वर्गों में और महिलाओं के लिए तीन वजन वर्गों में होती है।
बॉक्सिंग में हर मैच महत्वपूर्ण और नॉक आउट ही होता है, यानी मैच हारे तो बाहर। बॉक्सिंग में पुरुषों के लिए तीन-तीन मिनट के तीन राउंड होते हैं। इसमें हर राउंड के बीच में 1 मिनट का रेस्ट टाइम मिलता है। मुक्केबाजी खेल में प्रतिद्वंदी को मुक्के से चित करना कठिन होता है, इसलिए पॉइंट के आधार पर विजेता चुने जाते हैं। मुक्केबाजी ओलिम्पिक की ऐसी प्रतियोगिता है, जिसमें सेमीफाइनल में हारने वाले दोनों प्रतियोगियों को ब्रॉन्ज मेडल मिलता है।
कॉर्नर: बॉक्सिंग में हर मुक्केबाज को रिंग का एक कोना दिया जाता है। जहां राउंड के बीच में वह आराम करता है। यह कोना कॉर्नर कहलाता है। यहां बॉक्सर के साथ 3 और भी लोग ट्रेनर, असिस्टेंट और कटमेन होते हैं। मुक्केबाजी में ट्रेनर और असिस्टेंट बॉक्सर को खेल की रणनीति समझाते हैं। कटमेन जो कि डॉक्टर के रूप में रहता है, जो बॉक्सर के चेहरे पर लगने वाले कट का ध्यान रखता है। कट के कारण आंखों और शरीर में गंभीर चोट का खतरा होने पर लड़ाई रोक दी जाती है।
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