सिंहासन योग करने की विधि, लाभ और सावधानियां...
सिंहासन योग क्या है?
सिंहासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों को लिया गया है। 'सिंह' का अर्थ 'शेर' और 'आसन' का अर्थ योग मुद्रा से है। जिसे अंग्रेजी में 'Lion Pose' के नाम से जाना जाता है। सिंहासन योगासन के दौरान उत्पन्न होने वाली ध्वनि शेर की गर्जन ध्वनि के सामान होती है। इस आसन को सिंहासन इसलिए कहते हैं क्योंकि बाहर निकली हुई जीभ के साथ चेहरा दहाड़ते हुए शेर की भयंकर छवि को दर्शाता है। संस्कृंत में ‘सिंह’ का अर्थ होता है ‘शेर’। सिंहासन आपके आंखो, चेहरे व गर्दन को स्वस्थ रखने के लिए अहम भूमिका निभाता है। ये सबसे अनोखे योग आसन में से एक है।
सिंहासन योगा करने की विधि:-
वज्रासन में बैठें, अपने घुटनों को अलग रखें ताकि, दोनों के बीच सही दुरी हो, और धीरे-धीरे अपने नितम्बों को उठाइए और टांगों को कैंची की तरह एक-दूसरे में गुणा के चिन्ह के रूप में रखिए और उसके ऊपर बैठ जाएं। दोनों हाथों को अपनी-अपनी ओर धटनों पर रखिए और उंगलियों को फैला दें। जीभ जितना हो सके बाहर निकालिए और इसके साथ मुंह से दहाड़ के साथ श्वास बाहर निकालिए। कुछ देर के लिए इसी अवस्था में रहिए और धीरे-धीरे मूल अवस्था में आ जाएं।
विधि और निषेध:-
सिंहासन योग के लाभ:-
- टॉन्सिल की अवस्था में यह बहुत ही लाभकारी है।
- जीभ में जो खुरदरापन होता है उसको दूर करने में सहायता मिलती है।
- शरीर के विभिन्न भागों जैसे चेहरा, आंख, कान, जीभ, गले, छाती और अंगुलियों को लाभ मिलता है।
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