योगाभ्यास से रोग उपचार...
जानें किस रोग में अपनाये कौन से योग आसन:
मिर्गी /अपस्मार ━
हलासन, महामुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, भुजंगासन, और बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम, अंतकुंभक के साथ उज्जायी प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, शाकाहारी भोजन, ध्यान, योग निद्रा।
आधाशीशी (Migraine) ━
शीर्षासन, स्वर्गासन, पश्चिमोत्तानासन, पदमासन, में ध्यान लगाएं या सिद्धासन में ध्यान लगाएं, वीरासन, शवासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम, उद् गीथ प्राणायाम, योग निद्रा
सीना/ छाती रोग ━
सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, स्वर्गासन, भुजंगासन, धनुरासन, पदमासन, आकर्ण धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, बकासन, बध्दकोणासन, चक्रासन, कपोतासन, नटराजासन, पीछे झुककर किए जाने वाले आसन, उज्जायी तथा नाड़ी-शोधन प्राणायाम, योग निद्रा।
कमर दर्द (Back Pain) ━
वे सभी आसन जिनकी क्रिया खड़े होकर पीछे की तरफ की जाती है एवं सुप्त वज्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, पर्वतासन, स्वर्गासन, शीर्षासन, चक्रासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम कपाल-बी भाति।
मस्तिष्क एवं स्मरण शक्ति के विकास के लिए ━
शीर्षासन एवं उसका समूह, स्वर्गासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन, योग-मुद्रासन, पादहस्तासन, पदमासन में ध्यान या सिद्धासन में ध्यान, सामान्य त्राटक, शवासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, सूर्य भेदन एवं भस्त्रिका प्राणायाम, योगनिद्रा।
पेट दर्द/उदरशूल ━
शीर्षासन, स्वर्गासन, हलासन, उत्तानासन, वीरासन, सुप्त वीरासन, वज्रासन एवं नौकासन, (नाभि सरकी हो तो नाभि को ठीक करने वाले आसन करें)
गुर्दा रोग (Kidney) ━
सूर्य नमस्कार, स्वर्गासन, शीर्षासन एवं उसका समूह, हलासन,पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन, शलभासन, धनुरासन, अर्ध नौकासन, मत्स्येन्द्रासन, भुजंगासन, हनुमानासन, कपोतासन।
अस्थमा ━
पवनमुक्तासन, श्वासन, नाड़ी शोधन प्राणायाम, भुजंगासन। वैसे तो योग आसन कई तरह के रोगो के लिए उपयोगी है। परन्तु अस्थमा में बहुत ही उपयोगी है क्यूंकि यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
डायबिटीज ━
कपाल-भाती, त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तानासन अर्ध मत्स्येन्द्रासन, डायबिटीज रोगी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण योग है, यह शरीर को अंतरीक रूप से साफ रखने का कार्य करता है, पाचन में भी मदद करता है।
हृदय सबंधी रोग ━
त्रिकोणासन, वीरभद्रासन, अधोमुखोस्वांसना, धनुरासना। योग द्वारा हम हृदय सम्बन्धी रोगो का निवारण कर सकते हैं। योग हृदय के आस पास के क्षेत्र को मजबूत बनता है, और ये पुरे शरीर को लचीला एवं ऊर्जावान बनता है।
रक्तचाप नियंत्रण ━
सुखासन, अधोमुखो स्वानासन, श्वासना, सेतु बन्धासना। यह आसन शरीर में धीरे बहते हुए रक्त को उचित शक्ति प्रदान कर रक्तचाप को नियंत्रित करते है।
थाइरोइड ━
शिर्षासन्न, सर्वांगसंना, हलासन्न, मत्स्यासनना। इन आसन में जब आप अपनी गर्दन को खींचते हैं तो यह आपकी थाइरोइड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है। यह आसन तनाव को कम करता है, शरीर को आराम देने और अवसाद को रोकने में मदद करता है जो थाइरोइड का कारन हो सकता है।
योग के नियमित अभ्यास से शरीर को अनगिनत लाभ होते हैं। यह आसन आपके शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। यह आपकी गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करता है और सिर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, जिसके परिणामस्वरूप कई अन्य लाभ होते हैं।
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