सूर्यभेदन प्राणायाम कैसे करें, इसके क्या लाभ हैं, जानिए...
श्वास लेने के लिए मनुष्य के पास दो नासिकाएं होती हैं। योगा में, उन्हें नाड़ी कहा जाता है, जिसमें दाहिनी नासिका को सूर्य नाड़ी कहा जाता है, और बाईं नासिका चंद्र नाड़ी के रूप में जाना जाता है। सूर्य पिंगला नाड़ी का परिचायक है और भेद का अर्थ होता है भेदन करना होकर निकलना या जागृत करना। इस प्रकार सूर्यभेद का अर्थ हुआ पिंगला नाड़ी को भेदना या परिष्कृत करना। यह प्राणायाम तंत्रिका तंत्र और पाचन क्रिया की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
सूर्यभेदन प्राणायाम करने का तरीका और इसके लाभों के बारे में जाानकारी दी गई है, साथ ही प्रणायाम से जुड़ी सावधानियों के बारे में भी बताया गया है।
सूर्य भेदन प्राणायाम क्या है?
सूर्यभेदन प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है, सूर्य का अर्थ होता है सूरज और भेदना का अर्थ है छेदना या आर पार होना। लेकिन, इस प्राणायाम में सूर्य को भेदने या तोड़ने की बात नहीं हो रही है। इस प्राणायाम का नाम शरीर पर इससे पड़ने वाले प्रभाव से लिया गया है। सूर्य भेदना प्राणायाम में श्वास लेने प्रक्रिया दाहिनी नासिका और श्वास छोड़ना की प्रक्रिया बायीं नासिका से होती है। श्वास लेने की सभी प्रक्रियाओं में प्राण ऊर्जा पिंगला या सूर्यनाड़ी के माध्यम से जाती है। इडा या चंद्रनाड़ी के माध्यम से श्वास छोड़ा जाता है। यहां श्वास का प्रवाह नियंत्रित होता है और फेफड़े ज्यादा ऊर्जा शोषित करते हैं।
संक्षिप्त तकनीक: प्राणायाम की तकनीक के अनुसार दाहिनी नासिका से श्वास लीजिए और बायीं नासिका से बाहर छोड़िए।
सूर्य भेदन प्राणायाम करने की विधि:
सूर्य भेदन प्राणायाम सावधानी:
समय और अविधि:
यह प्राणायाम हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। इस प्राणायम की समय अविधि धीरे- धीरे बढानी चाहिए। शुरुआत में यह प्राणायम 4-5 मिनट कर करना चाहिए।
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