उद्गीथ प्राणायाम कैसे करें, और इसके फायदे...
संस्कृत भाषा में "उद्गीथ" का अर्थ है जोर से गाना है । उद्गीथ प्राणायाम में प्रत्येक साँस छोड़ने के साथ ॐ का जप शामिल है। इसलिए इस प्राणायाम को ओमकारी जप के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुत ही सरल प्राणायाम और ध्यान अभ्यास है। यह प्राणायाम श्वास सबंधी व्यायाम कराता है। जो लोग सुबह उठकर हर रोज उदित प्राणायाम का अभ्यास करते है, वह कई तरह शारीरिक और आध्यात्मिक लाभों का आनंद पाता है।यह प्राणायाम एक प्रकार का मैडिटेशन अभ्यास है। आइये इस प्राणायाम की करने की विधि और इसके लाभों के बारे में जानते हैं।
यह प्राणायाम आपको चिंता, अपराधबोध, नाराजगी, उदासी और भय से निपटने में मदद करता है। शरीर में रक्त का संचार ठीक से होने लगता है, जिससे व्यक्ति के चेहरे पर एक दिव्य निखार आता है।
उद्गीथ प्राणायाम कैसे करें?
समय और अविधि:
उद्गीत प्राणायाम में सावधानी:
उद्गीथ प्राणायाम के लाभ:
- पॉजिटिव एनर्जी तैयार करता है।
- इसका अभ्यास 4-5 वर्ष के बच्चे द्वारा भी किया जा सकता है।
- अनिद्रा, तनाव, अवसाद, चिंता और सभी प्रकार की मानसिक बीमारियों को स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है।
- हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मायग्रेन पेन, डिप्रेशन, मस्तिष्क के सम्बधित, मिर्गी आदि में भी लाभकारी है।
- यह एकाग्रता के स्तर को बढ़ाता है, मन को शांत और स्थिर रखता है।
- मन और मस्तिष्क की शांति मिलती है।
- ब्रम्हानंद की प्राप्ति करने के लिये।
- चेहरे की चमक और आंखों में फायदेमंद है।
- गले से संबंधित सभी प्रकार के रोग दूर होते है।
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