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Balasana (Child’s Pose)-Shishuasana-बालासन

बालासन करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां

बालासन करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां...

बालासन संस्कृत का शब्द है बाल का अर्थ है- शिशु या बच्चा और आसन का अर्थ मुद्रा (pose) है। बालासन में हम एक शिशु की तरह वज्र आसन में बैठ कर हाथों और शरीर को आगे की ओर झुकाते है। यह आसन बेहद आसान है, और अनेक फायदे है, यह आसन कई विभिन्न आसनों से मिलता-जुलता रूप है। बालासन का अभ्यास शीर्षासन से पहले और बाद में किया जा सकता है। बालासन को करते समय जमीन पर लेटे बच्चे की तरह आकृति बनती है और कूल्हे जमीन से ऊपर उठे हुए एवं घुटने जमीन से चिपके होते हैं। इसलिए इस आसन को बालासन पोज कहा जाता है।
इस आसन को गर्भाशन या शशांकासन (Shashankasana) भी कहा जाता है। बालासन का अभ्यास करने से शरीर के कई विकारों को दूर करने में मदद करता है। कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और ये आसन कब्ज़ को भी दूर करता है। मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

बालासन (शिशुआसन) करने की विधि:

  • सर्वप्रथम वज्रासन मे जमीन पर या योगामेट लें कर बैठ जाये अपनी रीढ़ को सीधा रखे।
  • फिर वज्रासन में अपने घुटनों के बल एड़ियों पर बैठ जाएं। इस मुद्रा में, अपने हाथो को जांघों पर रखे।
  • अपने पैरों के दोनों घुटनों को एक दूसरे से या थोड़ी दूरी पर एक-दूसरे से चिपका कर रखें और कमर को बिल्कुल सीधा रखें।
  • श्वास लेते हुए अपने दोनों हाथो को ऊपर ले जाये।
  • श्वास छोड़ते हुए अपनी कमर के ऊपरी भाग को आगे की ओर झुके साथ ही दोनों हाथो को भी।
  • हाथो को सीधा रखे, और माथे को जमीन पर लगाये।
  • हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, अब पूरे शरीर को रिलैक्स करने दे और फिर एक गहरी सांस लें और उसे छोड़े।
  • अब हथेली आकाश की ओर (यदि ये आरामदायक ना हो तो आप एक हथेली के ऊपर दूसरी हथेली को रखकर माथे को आराम से रखें।)
  • धीरे से छाती से जाँघो पर दबाव दें।
  • 30 सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक मुद्रा मे रहे।
  • फिर वापिस वज्रासन मुद्रा मे आए।
  • बालासन करने में सावधानियां:

  • बालासन हमेशा खाली पेट करना चाहिए।
  • जिन व्यक्तियों को दस्त की समस्या, झुकने में मुश्किल होती है या फिर घुटनों में दर्द आदि हो उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • अगर बालासन करते वक्त माथे को फर्श पर रखने में असुविधा महसूस हो रही है तो आप अपने सर के नीचे तकिया रख सकते है।
  • High blood pressure, हार्ट और हर्निया के मरीज बालासन को बिल्कुल भी न करें।
  • डायरिया या घुटनों में चोट से पीड़ित हैं तो बालासन का अभ्यास बिल्कुल न करें।
  • यदि पीठ में दर्द हो या घुटने का ऑपरेशन हुआ हो तो अभ्यास न करें।
  • गर्भवती महिलाएं शिशु आसन का अभ्यास ना करें।
  • बालासन के लाभ:

  • इस आसन के अभ्यास से मन में सकारात्मक भावनाओं का संचार होता है।
  • यह आसन मन के नकारात्मक विचारों को नष्ट करने में भी मदद करता है।
  • कब्ज और गैस से राहत दिलाता है।
  • यह आसन शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ पीठ की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
  • पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है।
  • कुंडलिनी जागृत होती है जिसके माध्यम से आध्यात्मिक चेतना विकसित होती है और व्यक्ति में दैवीय शक्तियां विकसित होने लगती हैं।
  • इस आसन का रोजाना और सही तरीके से अभ्यास करने से डिप्रेशन, तनाव और चिंता दूर होती है और व्यक्ति का मस्तिष्क शांत रहता है।
  • इस योग आसन को करते समय, आपके पेट और आंतों में दबाव होता है जो पाचन प्रक्रिया को भी बढ़ाता है।
  • यह योग कूल्हों, कंधों, हैमस्ट्रिंग और कलाई को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • यह पीठ, कंधे, गर्दन, छाती और जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों में दर्द से राहत दिलाता है।
  • यह योग प्रजनन अंगों को भी उत्तेजित करता है और मासिक धर्म और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
  • रीढ़ को लंबा करने में मदद करता है।
  • धूम्रपान की लत को छोड़ने मे सहायता करता है।
  • इसका अभियास करने से चेहरे पर निखार आता है।
  • बालासन के साथ कुछ समान योग आसन:

    बालासन के साथ ही आप इन आसनों का अभ्यास भी नियमित रूप से कर सकते है। इन आसनों को करने से बालासन पोज की तरह ही फायदे मिलते हैं। ये आसन कूल्हों, जांघों और टखनों में तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
  • ताड़ासन (Mountain pose)
  • उत्तानासन (Forward-Bending pose)
  • अधोमुख शवासन (Downward Facing Dog pose)
  • भुजंगासन (Cobra pose)
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