बालासन करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां...
बालासन संस्कृत का शब्द है बाल का अर्थ है- शिशु या बच्चा और आसन का अर्थ मुद्रा (pose) है। बालासन में हम एक शिशु की तरह वज्र आसन में बैठ कर हाथों और शरीर को आगे की ओर झुकाते है। यह आसन बेहद आसान है, और अनेक फायदे है, यह आसन कई विभिन्न आसनों से मिलता-जुलता रूप है। बालासन का अभ्यास शीर्षासन से पहले और बाद में किया जा सकता है। बालासन को करते समय जमीन पर लेटे बच्चे की तरह आकृति बनती है और कूल्हे जमीन से ऊपर उठे हुए एवं घुटने जमीन से चिपके होते हैं। इसलिए इस आसन को बालासन पोज कहा जाता है।
इस आसन को गर्भाशन या शशांकासन (Shashankasana) भी कहा जाता है। बालासन का अभ्यास करने से शरीर के कई विकारों को दूर करने में मदद करता है। कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और ये आसन कब्ज़ को भी दूर करता है। मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
बालासन (शिशुआसन) करने की विधि:
बालासन करने में सावधानियां:
बालासन के लाभ:
बालासन के साथ कुछ समान योग आसन:
बालासन के साथ ही आप इन आसनों का अभ्यास भी नियमित रूप से कर सकते है। इन आसनों को करने से बालासन पोज की तरह ही फायदे मिलते हैं। ये आसन कूल्हों, जांघों और टखनों में तनाव को कम करने में मदद करते हैं।Sport| Football |Tennis | Cricket | Yoga | GYM | G K
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