बाह्य प्राणायाम कैसे करें, और इसके फायदे...
संस्कृत भाषा में "बाह्या" का अर्थ "बाहर" से है, बाह्य प्राणायाम को अंग्रेजी में External Retention (“बाहरी साँस का योगा”) कहा जाता है। अथार्त इस प्राणायाम में शरीर को विभिन्न बंधों में रखने से पहले सांस को पूरी तरह से बाहर निकाला जाता है। तब व्यक्ति कपालभाति करता है, तभी उसकी मूलाधार चक्र की शक्ति जागृत होती है और उस जागृत हुई अमूल्य शक्ति का उर्धारोहण (उर्ध + आरोहण) करने के लिए “बाह्य प्राणायाम”किया जाता है। इसे प्राणायाम में मूल बंध, उड्डियान बंध और जलंधर बंध का उपयोग होता है।
बाह्य प्राणायाम कैसे करें?
बाह्य प्राणायाम के अभ्यास के लिए step by step निर्देश दिए गए हैं। ध्यान से पढ़े !ध्यान दे !
बाह्या प्राणायाम में सावधानियां:
बाह्य प्राणायाम के लाभ:
- श्वास प्राणायाम को खाली पेट होने पर करना चाहिए ।
- बाह्य प्राणायाम में उड्डियान बंध में पेट की मांसपेशियों को खींचाव मिलता है, जिसे पाचन बेहतर होता है। गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी पेट की सभी समस्याऐ मिट जाती हैं।
- यह मधुमेह में लाभदायक है।
- हर्निया पूरी तरह ठीक हो जाता है।
- बाह्या प्राणायाम में पेट, जिगर, गुर्दा और गर्भाशय आदि जैसे आंतरिक अंगों को रक्त की आपूर्ति बन्धनों से मुक्त होने पर मिलती है। जिसे जिससे इन अंगों से संबंधित विभिन्न बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- मन की एकाग्रता और स्मृति के स्तर में सुधार करने में मदद करता है।
- इसके अभ्यास से विभिन्न मांसपेशियों और जोड़ों के लचीलेपन और ताकत में सुधार होता है।
- बाह्य प्राणायाम से व्यंधत्व (संतान हीनता) से छुटकारा मिलने में भी सहायक है।
Bahya Pranayama for Beginners.
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