Bhastrika pranayama method, benefits and precautions
भस्त्रिका प्राणायाम क्या है?
भस्त्रिका प्राणायाम भस्त्र शब्द से निकला है भस्त्रिका का मतलब है धौंकनी। वास्तविक तौर पर इस प्राणायाम में सांस की गति धौंकनी की तरह हो जाती है। यानी श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है। धौंकनी के जोड़े की तरह ही यह ताप को हवा देता है, भौतिक औऱ सूक्ष्म शरीर को गर्म करता है। जहाँ तक बात रही भस्त्रिका प्राणायाम की परिभाषा की तो यह एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं। उसी तरह लगातार तेजी से बलपूर्वक श्वास ली और छोड़ी जाती है। भस्त्रिका प्राणायाम में इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना तीनों नाड़ियां प्रभावित होती हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि:
- पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं।
- यह प्राणायाम (Yoga) करते वक्त अपने शरीर को स्थिर अवस्था में रखें कमर, गर्दन, पीठ एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर को बिल्कुल स्थिर रखें।
- इसके बाद बिना शरीर को हिलाए दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें। फिर आवाज करते हुए ही श्वास को बाहर छोड़ें।
- फिर तेज गति से श्वास लें और तेज गति से ही श्वास बाहर निकालें।
- श्वास लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वास छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए। इससे नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है।
- इसी को क्रिया भस्त्रिका प्राणायाम कहलाती है।
- हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रखें।
- ध्यान रहे, श्वास लेते और छोड़ते वक्त हमारी लय ना टूटे।
- सबसे पहले कपालभाति के 20 दौर जोर-जोर से करें तथा उसके तुरंत बाद एक दौर सूर्यभेदन प्राणायाम कुंभक के साथ करें।
- इससे एक दौर भस्रिका प्राणायाम हो जाता है।
भस्त्रिका प्राणायाम में सावधानियां:
- बिल्कुल सीधे बैठ जाइएं और उपयुक्त दौर के लिए छाती को खोलें।
- इसे क्षमता से अधिक न करें।
- उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी, हर्निया, अल्सर, मिर्गी स्ट्रोक वाले और गर्भवती महिलाएं इसका अभ्यास ना करें।
- अगर आपकी नाक रुकी हुई हो, तो यह प्राणायाम ना करेंतीव्र अस्थमा और बुखार हो तो भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- अगर हाल ही में कोई ऑपरेशन हुआ हो, तो कृपया भास्त्रिका प्राणायाम करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
- यह प्राणायाम खाली पेट करें।
भस्त्रिका प्राणायाम करने से लाभ:
- इससे हृदय और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, इसलिए यह ब्रोनकाइटिस और दमा के लिए लाभकरी है।
- पुरे शरीर में रक्तसंचार में सुधार होता है।
- पेट की मांसपेशियां स्वस्थ होती है और गंदगी दूर होती है।
- इस प्राणायाम के अभ्यास से मोटापा दूर होता है।
- शरीर को प्राणवायु अधिक मात्र में मिलती है और कार्बन-डाई-ऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है।
- जठराग्नि तेज हो जाती है।
- इससे दमा, टीवी और सांसों के रोग दूर हो जाते हैं।
- इस प्राणायाम के अभ्यास से फेफड़े को बल मिलता है, स्नायुमंडल सबल होता है।
- वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते है।
- इस प्राणायाम के अभ्यास से पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की मसाज होती है।
- भस्त्रिका प्राणायाम को विधिपर्वक करने से प्राणों में स्थिरता आती है, मन वश में होता है, निद्रा तथा आलस्य दूर होते हैं तथा ध्यान लगाने में आसानी होती है।
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