शतरंज खेल की जानकारी...
शतरंज (Chess) — परिचय और मूल बातें: शतरंज एक बेहद प्राचीन और बुद्धिमत्तापूर्ण खेल है जिसे दो खिलाड़ी खेलते हैं। माना जाता है कि इसका प्रारम्भिक स्वरूप चतुरंग नाम से प्राचीन भारत में हुआ था और समय के साथ यह पूरे विश्व में फैल गया।
इतिहास का संक्षिप्त परिचय:
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार यह खेल प्राचीन भारत में पाँचवीं-छठी शताब्दी के आसपास विकसित हुआ। प्राचीन नाम चतुरंग था। भारत से यह अरब देशों और फिर यूरोप पहुँचा, जहाँ से मध्यकाल के बाद आधुनिक शतरंज के रूप उभर कर सामने आये।
चौपाट (बोर्ड) और खेल की संरचना:
शतरंज एक चौकोर बोर्ड पर खेला जाता है जिसमें कुल 64 खानों (8×8) होते हैं। ये खानों दो रंगों में बँटे होते हैं — आमतौर पर काले और सफेद (या गहरे और हल्के)। प्रत्येक खिलाड़ी के पास कुल 16 टुकड़े होते हैं:
- 1 × राजा (King)
- 1 × वजीर/रानी (Queen)
- 2 × हाथी (Bishops)
- 2 × घोड़े/घोड़ा (Knights)
- 2 × ऊँट/रोक (Rooks)
- 8 × प्यादे/सैनिक (Pawns)
प्रारम्भिक विन्यास (Starting Position):
बोर्ड लगाते समय ध्यान रखें:
- दोनों खिलाड़ियों के दायें ओर जो खाना आता है वह हल्का/सफेद रंग का होना चाहिए (i.e. "right side light")।
- रानी (वजीर) अपनी ही रंग के खाने पर रखी जाती है — सफेद वजीर सफेद खाने पर, काला वजीर काले खाने पर।
- पंक्ति विन्यास — पिछली पंक्ति (back rank): रोक (Rook) - Knight - Bishop - Queen - King - Bishop - Knight - Rook (किसी दिशा से आप पढ़ें, पर ध्यान रखें रानी अपनी रंग की चौकोर में हो)।
- सामने वाली पंक्ति में सभी 8 प्यादे होते हैं।
खेल की शुरुआत और बुनियादी नियम:
खेल की शुरुआत हमेशा सफेद खिलाड़ी से होती है। उद्देश्य है प्रतिद्वंदी के राजा को ऐसा शास दें कि वह किसी भी वैध चाल से बच न सके — इसे मैट (Checkmate) कहते हैं। कुछ बुनियादी बातें:
- हर टुकड़े की चाल अलग होती है (रानी सर्वाधिक गतिशील, घोड़ा 'एल' आकर चलता है, प्यादा सामान्यतः एक कदम आगे चलता है)।
- जब कोई खिलाड़ी प्रतिद्वंदी के राजा पर सीधा हमला करता है, वह 'चेक' में होता है; खिलाड़ी को अगली चाल में चेक हटाना अनिवार्य है।
- बोर्ड पर खेल के दौरान कभी भी राजा ऐसे स्थान पर नहीं आ सकता जहाँ वह प्रत्यक्ष आक्रमण (चेक) में रहे।
- विशेष चालें: कैसलिंग (Castling), एन पासां (En Passant) और प्रमोशन (Pawn Promotion)।
कुछ उपयोगी सुझाव:
- खेल के आरम्भ (Opening) में केंद्र नियंत्रित करने का प्रयास करें।
- टुकड़ों का विकास (Development) और राजा की सुरक्षितता (King Safety) पर ध्यान दें।
- मध्य खेल (Middlegame) में योजनाबद्ध रूप से संयोजन और रणनीति अपनाएँ।
- अंत खेल (Endgame) में प्यादों की ताकत और किंग की सक्रियता महत्वपूर्ण होती है।
शतरंज का इतिहास और विकास:
शतरंज की उत्पत्ति कब और कहां हुई, इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। अधिकांश विद्वान इस खेल का अविष्कार भारत में हुआ मानते हैं। शतरंज को बुद्धि और विवेक का खेल माना जाता है। भारत में इस खेल का पुराना नाम चतुरंग है। प्राचीनकाल में ईरान में इसे शतरंज, चीन में चांगकी और इंग्लैंड में चैक नाम से पुकारा जाता था, लेकिन वर्तमान में इसका नाम पूरे विश्व में शतरंज ही लोकप्रिय है।
महाभारत काल में 'चतुरंग' नाम का एक युद्ध खेल के रूप में विकसित हुआ था। चतुरंग चार खिलाड़ियों का खेल था। लगभग 600 ई. के आसपास चतुरंग का नाम शतरंज हो गया और यह दो खिलाड़ियों का खेल बन गया।
शतरंज का विकास:
शतरंज खेल का विकास उच्च वर्ग के बौद्धिक मनोरंजन को लेकर अधिक हुआ। वर्तमान समय में विश्व भर में इस खेल का नियन्त्रण फेडरेशन इंटरनेशनल द एचेस (FIDE) द्वारा किया जाता है। फीडे की स्थापना 1924 ई. में हुई थी। यही संस्था उत्कृष्ट खिलाड़ियों को ग्रांडमास्टर की उपाधि प्रदान करती है।
विश्व प्रतियोगिताएं:
शतरंज खेल की प्रथम विश्व प्रतियोगिता 1851 ई. में हुई। पुरुषों का पहला शतरंज ओलम्पियाड 1927 में लंदन में आयोजित किया गया और महिलाओं का पहला शतरंज ओलम्पियाड 1957 में एमेन में हुआ। पुरुषों के पहले ओलम्पियाड में 16 देशों ने भाग लिया था।
भारत में शतरंज:
भारत में इस खेल का नियन्त्रण अखिल भारतीय शतरंज महासंघ द्वारा किया जाता है, जो 1951 ई. में स्थापित किया गया था। भारत के प्रमुख खिलाड़ी मीर सुल्तान खा ने 1928 में अखिल भारतीय प्रतियोगिता जीती और अगले पाँच वर्षों में तीन बार ब्रिटिश प्रतियोगिता जीती।
मैनुएल ऐरोन ने 1961 में एशियाई स्पर्धा जीती, जिससे उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मास्टर का दर्जा मिला और वे भारत के प्रथम आधिकारिक शतरंज ख़िताबधारी बने। उन्होंने इस खेल का प्रथम अर्जुन अवार्ड भी प्राप्त किया।
विश्वनाथ आनन्द:
विश्वनाथ आनन्द भारतीय शतरंज को शिखर पर पहुँचाने वाले महान खिलाड़ी हैं। उन्होंने 1987 में विश्व जूनियर स्पर्धा जीतकर प्रथम भारतीय विश्व विजेता होने का गौरव पाया। इसी वर्ष वे भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने।
1999 की फिडे रैंकिंग में उन्हें विश्व में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। 1997, 1998, 2003, 2004, 2007 तथा 2008 में प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार के लिए उन्हें नामांकित किया गया।
उन्हें अर्जुन पुरस्कार (1985), पद्मश्री (1988), राजीव गांधी खेल रत्न (1992), और पद्मभूषण (2007) से सम्मानित किया जा चुका है।
वर्ष 2000, 2007, 2008 और 2010 में वे विश्व शतरंज चैम्पियन बने।
विश्व प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी और रोचक तथ्य:
निम्नलिखित खिलाड़ी वे महान व्यक्तित्व हैं जिन्होंने शतरंज के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपने देश का नाम रोशन किया:
- विश्वनाथन आनंद
- दिव्येंदु बरुआ
- बी. रवि कुमार
- आरती रामास्वामी
- पी. हरिकृष्ण
- मैनुएल ऐरोन
- कोनेरू हम्पी
- शुभम यादव
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: शतरंज कहां का राष्ट्रीय खेल है?
उत्तर: शतरंज खेल फ्रांस, रूस और सूडान का राष्ट्रीय खेल है।
शतरंज के खेल के बारे में रोचक तथ्य:
- शतरंज की उत्पत्ति भारत में हुई थी, जिसका प्राचीन नाम चतुरंग था।
- शतरंज के बोर्ड में कुल 64 खाने और 32 मोहरे होते हैं।
- शतरंज का पहला विश्व चैंपियनशिप 1886 में आयोजित किया गया था।
- दुनिया का सबसे लंबा शतरंज का खेल 1989 में निकोलाज़ और इवान निकोलिक के बीच खेला गया, जो 20 घंटे से अधिक चला और 269 चालों में ड्रॉ हुआ।
- शतरंज के सभी संभावित चालों की संख्या ब्रह्मांड के तारों की संख्या से भी अधिक है।
- विश्वनाथन आनंद भारत के पहले ग्रैंडमास्टर हैं और उन्होंने कई बार विश्व चैम्पियनशिप जीती है।
- रूस को शतरंज की महाशक्ति माना जाता है, जहाँ से कई विश्व चैंपियन हुए हैं।
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