अग्निसार क्रिया प्राणायाम कैसे करें, लाभ और सावधानियां...
नियमित योगाभ्यास से रोग के होने की आशंका कम हो जाती है। जो लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं, यदि वे योग्य मार्गदर्शन में योग का अभ्यास करें तो सजर्री की स्थिति को भी टाला जा सकता है। योग की निम्न क्रियाएं काफी उपयोगी हैं। अग्निसार क्रिया, भस्त्रिका प्राणायाम तथा नाड़ीशोधन प्राणायाम।
अग्निसार क्रिया:
अग्निसार क्रिया को वह्निसार भी कहते हैं। वहिन का मतलब होता है अग्नि और सार का अर्थ होता है मूल तत्व। अग्निसार प्राणायाम करने से आपके पाचन तंत्र को साफ एवं स्वस्थ रखते हुए पूरे शरीर को बीमारियों से बचाता सकते है। मूलतः अग्निसार नाभि से सम्बंधित एक योगाभ्यास है जिसका ज़्यादा से ज़्यादा असर नाभि के क्षेत्र पर होता है। यह आप के पेट को ठीक रखते हुए पाचन में मदद करता है और साथ ही साथ पाचन रस के स्राव में बड़ी भूमिका निभाता है।
अग्निसार क्रिया प्राणायाम करने की विधि:
अग्निसार क्रिया को आप बैठ कर भी कर सकते हैं।
अग्निसार क्रिया आप खड़े होकर भी कर सकते हैं।
अग्निसार क्रिया की सावधानियां:
अग्निसार क्रिया के लाभ:
- इसका नियमित अभ्यास से कब्ज, ऐसिडिटी, गँसस्टीक, जैसी पेट की सभी समस्याऐं मिट जाती हैं।
- धातु, और पेशाब के संबंधित सभी समस्याऐं मिट जाती हैं।
- यह प्राणायाम नाभि में मणिपूरक चक्र को जागृत करता है जिससे शरीर के सभी रोग दूर हो जाते है।
- अग्निसार पेट की चर्बी कम करने के लिए बहुत ही प्रभावी योगाभ्यास है।
- जो शरीर से हानिकारक पदार्थ को निकालने में मदद करता है।
- यह भोजन के पचाने में मदद करता है और कब्ज की शिकायत को दूर करने में सहायता करता है।
- हर्निया पूरी तरह मिट जाता है।
- अग्निसार पेट के समस्त रोगों के लिए रामबाण है।
- मन की एकाग्रता बढ़ेगी।
- व्यंधत्व से छुटकारा मिल जायेगा।
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