अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का सही तरीका, फायदे और सावधानियां...
नाड़ी शोधन अथवा अनुलोम विलोम प्राणायाम इन प्राणायाम की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें बाएं एवं दाएं नासिकाररंध्रों से क्रमवार श्वास-प्रश्वास को रोककर अथवा बिना श्वास-प्रश्वास रोके श्वसन किया जाता है। जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom) के रूप में भी जाना जाती है।
शारीरिक स्थिति: कोई भी आरामदायक स्थिति आसन।
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि:
ध्यान दे!
अनुपात एवं समय: प्रारम्भिक अभ्यासियों के लिए श्वासोच्छवास क्रिया को क्रमश:1:2 कर देना चाहिए।
श्वसन: श्वसन क्रिया मंद, समान एवं नियंत्रित होनी चाहिए। इसमें किसी प्रकार का दबाव या अवरोध नहीं होना चाहिए।
नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) के लाभ:
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