सेतुबंधासन करने का तरीका और फायदे...
सेतुबंध शब्द का अर्थ सेतु का निर्माण है। इस आसन में शरीर की आकृति एक सेतु की अवस्था में रहती है, जिसमें शरीर को “U” की आकृति में मोड़ना पड़ता है। इसमें शरीर एक पुल यानी ब्रिज की तरह लगता है। इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। इसे चतुष्पादासन भी कहा जाता है। यह आसन पीठ के निचले हिस्से में दर्द और टखने, कूल्हे, पीठ, जांघों और कंधे की अकड़ को दूर करने में के लिए प्रभावी है। सेतुबंधासन को खाली पेट करना चाहिए। इसके साथ ही इसे सुबह के समय करना लाभदायक होता है।
शारीरिक स्थिती : पीठ के बल (शवासन)
सेतुबंधासन का अभ्यास करने की विधि:-
- सबसे पहले साफ़ सुथरी शांत जगह पर मैट या दरी बिछा लें। और अपना आसन लगाए।
- इस आसन के लिए मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए एड़ियों को नितंबों के पास लाएं।
- हाथों से पैर के टखनों को मजबूती से पकड़ें और घुटनों एवं पैरों को एक सीध में रखें।
- श्वास अंदर खींचते हुए धीरे-धीरे अपने नितंब और धड़ को ऊपर की ओर उठाएं और पुलनुमा आकृति बनाएं।
- इस अवस्था में 10-30 सेकंड तक रहें, इस दौरान सामान्य श्वास लेते रहना चाहिए।
- श्वास बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे मूल अवस्था में वापस आएं और शवासन में लेटकर शरीर को शिथिल छोड़े दें।
- ध्यान दें !
- अंतिम अवस्था में कंधे, गर्दन एवं सिर जमीन से लगे होने चाहिए।
- अंतिम अवस्था में यदि जरूरत हो तो आप अपनी कमर पर हाथ रखकर अपने शरीर को सहारा दे सकते है।
ध्यान दें !
- अंतिम अवस्था में कंधे, गर्दन एवं सिर जमीन से लगे होने चाहिए।
- अंतिम अवस्था में यदि जरूरत हो तो आप अपनी कमर पर हाथ रखकर अपने शरीर को सहारा दे सकते है।
सेतुबंधासन करते समय सावधनी:-
- अल्सर एवं हर्निया से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- अगर किसी व्यक्ति को कमर की चोट या गर्दन की चोट हो तो इस आसन को नहीं करें।
सेतुबंधासन करने से लाभ:-
- सेतुबंधासन करने से रीढ़ की हडडी मजबूत होती है।
- अवसाद एवं चिंता से मुक्त करता है। कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत बनता है।
- उदर के अंगों में कसावट लाता है। पाचन क्षमता बढ़ाता है एवं कब्ज से छुटकारा दिलाता है।
- इसे करने से छाती, गर्दन,कंधे में खिचाव आता है।
- फेफड़ों को खोलता है और रक्त का शुद्धिकरण करता है।
- सेतुबंधासन को करने से ब्लड सर्क्युलेशन बेहतर होता है। जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत मिलती है।
- सिरदर्द और पीठ दर्द को कम करने में यह योगासन मददगार है।
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