प्राणायाम का संरक्षक क्या है | What is patron of Pranayama?
प्राणायाम को आमतौर पर सांस नियंत्रण की प्रक्रिया समझा जाता है, प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्वास और नि:श्वास की गति को नियंत्रण ( जान-बूझकर) कर रोकने व निकालने की क्रिया को कहा जाता है। (प्राण का अर्थ है श्वास और आयाम का अर्थ है नियंत्रण करना, विनियमन) प्राणायाम श्वास के माध्यम से यह ऊर्जा शरीर की सभी नाड़ियों तक पहुँचाती है। यम शब्द का अर्थ है नियंत्रण और में इसे विभिन्न नियमों या आचार को निरूपित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। मगर प्राणायाम शब्द में प्राण के साथ यम नहीं आयम की संधि की गयी है। हर श्वास में हम न केवल आक्सीजन ही प्राप्त करते हैं अपितु प्राण भी। प्राण ब्रह्माण्ड में व्याप्त ऊर्जा है, विश्व की वह शक्ति है जो सृष्टि-सृजन, संरक्षण और परिवर्तन करती है। यह जीवन और चेतनता का मूल तत्व है। प्राण भोजन में भी मिलता है, और इसीलिए स्वस्थ और संपूर्ण शाकाहारी खाद्य पदार्थ ग्रहण करना अति महत्वपूर्ण है।
प्राणायाम करने से शरीर में प्राण का सचेतन मार्गदर्शन, पौष्टिकता, शारीरिक विषहीनता और सुधरी रोग-निरोधक शक्ति में वृद्धि करता है, और उसी के साथ-साथ आन्तरिक शांति, तनावहीनता व मानसिक स्पष्टता भी प्रदान करता है।
पुराणों में है कि व्यक्ति के जीवन की लम्बी-अवधि का पूर्व-निर्धारण उसकी श्वासों की संख्या से ही है। योगी पुरुष "समय-सुरक्षित" रखने का प्रयास इस ही माध्यम से करता है और अपने श्वास की गति धीमी रखकर जीवन को बढ़ाने, लम्बा करने का प्रयत्न करता है।
प्राणायाम के कुछ प्रमुख प्रकार हैं | Some of the major types of Pranayama are
- शीतली प्राणायाम
- भस्त्रिका प्राणायाम
- नाड़ी शोधन प्राणायाम
- उज्जायी प्राणायाम
- कपालभाती प्राणायाम
- डिग्र प्राणायाम
- बाह्य प्राणायाम
- भ्रामरी प्राणायाम
- उद्गित प्राणायाम
- अनुलोम - विलोम प्राणायाम
- अग्निसार क्रिया
प्राणायाम के लाभ | Benefits of Pranayama
प्राणायाम के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक प्रभाव | Physical, mental, spiritual effects of Pranayama......
- विचारों और भावनाओं को शान्त करता है।
- आन्तरिक संतुलन बनाए रखता है।
- ऊर्जा-अवरोधों को हटा देता है।
- ध्यान की गहराइयों में पहुँचाता है।
- चक्रों (ऊर्जा-केन्द्रों) को जागृत और शुद्ध करता है।
- शरीर का स्वास्थ्य ठीक रखता है।
- हमारे अंदर की नगेस्टिव एनर्जी को बाहर निकल के मन और आत्मा को शुद्ध करती है।
- रक्त की शुद्धि करता है।
- आक्सीजन को शरीर में पहुँचाने में सुधार करता है।
- फेफड़ों और हृदय को मजबूत करता है।
- रक्त-चाप को नियमित रखता है।
- नाड़ी-तंत्र को नियमित, ठीक रखता है।
- आरोग्य-कर प्रक्रिया और रोगहर चिकित्सा-प्रणाली सुदृढ़ करता है।
- संक्रामकता निरोधक शक्ति बढ़ाता है।
- मानसिक बोझ, घबराहट और दबाव को दूर करता है।
- चेतना का विस्तार करता है।
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